जैसे ही प्रह्लाद ने भगवान विष्णु के नाम का जाप किया, होलिका का अग्निरोधक वस्त्र प्रह्लाद के ऊपर आ गया और वह बच गया, जबकि होलिका भस्म हो गई थी. मान्यता है, कि तब से ही बुराई पर अच्छाई की जीत के उत्साह स्वरूप सदियों से हर वर्ष होलिका दहन मनाया जाता है. होलिका दहन की कथा पाप पर धर्म की विजय का प्रतीक है.